सानन्दमानन्दवने वसन्तं आनन्दकन्दं हतपापवृन्दम्। वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये॥ Song Credit: Tanvi Senjaliya जो भगवान शिव काशी (आनंदवन) में आनंदपूर्वक निवास करते हैं, जो परमानंद के मूल स्रोत हैं और समस्त पापों का नाश करने वाले हैं, जो वाराणसी के स्वामी और अनाथों के नाथ हैं, मैं उन श्री विश्वनाथ की शरण में जाता हूँ। यहाँ इस श्लोक में भगवान शिव की महिमा का अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण वर्णन किया गया है। वे काशी के अधिपति हैं और उन सभी के नाथ हैं जिन्हें संसार में कोई सहारा नहीं। उन्हें “सानन्दमानन्दवने वसन्तं” कहा गया है, जिसका अर्थ है कि वे सदा आनन्दवन—अर्थात् काशी—में आनंदपूर्वक निवास करते हैं। काशी, जिसे वाराणसी भी कहा जाता है, शिव का परम धाम है। उनकी उपस्थिति से यह नगरी पवित्र और मोक्षदायिनी बन गई है। ऐसा विश्वास है कि जो भी यहाँ निवास करता है या श्रद्धा से शिव की भक्ति करता है, उसे समस्त पापों से मुक्ति और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है। 🔱 **शिव: आनंद के स्रोत** शिवजी को “आनन्दकन्दं” कहा गया है—अर्थात् वे आनंद के मूल कारण हैं। वे सृष्टि के आदि कारण हैं और समस्त सुखों के परम स्रोत भी। उनके दिव्य स्वरूप में शांति, करुणा और आनंद का वास है। जो भी उनकी शरण में आता है, उसे आत्मिक संतोष और गहन आनंद की अनुभूति होती है। वे अपने भक्तों को प्रेम और कृपा से भर देते हैं, जिससे जीवन की कठिनाइयाँ भी सहज हो जाती हैं। 🔥 **पापों का नाश करने वाले** श्लोक में शिव को “हतपापवृन्दम्” भी कहा गया है—अर्थात् वे पापों का नाश करने वाले हैं। उनकी कृपा से भक्तों के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में पवित्रता का संचार होता है। यह उनके कृपालु और भक्तवत्सल स्वरूप का प्रतीक है। 🏞️ **अनाथों के नाथ** “वाराणसीनाथमनाथनाथं”—इस पंक्ति में शिव को वाराणसी के स्वामी और अनाथों के नाथ के रूप में संबोधित किया गया है। वे उन सभी का सहारा हैं जिनका इस संसार में कोई नहीं। वे करुणामयी पिता के समान हैं, जो अपने भक्तों को सुरक्षा, मार्गदर्शन और प्रेम प्रदान करते हैं। 🙏 **पूर्ण समर्पण की भावना** अंतिम पंक्ति “श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये” में भक्त की पूर्ण समर्पण भावना प्रकट होती है। यह उद्घोष है कि वह अपने समस्त भय, शंकाएँ और कष्ट त्यागकर भगवान विश्वनाथ की शरण में जाता है। इस शरणागति से उसे दुखों से मुक्ति, पापों से शुद्धि और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है। ✨ **निष्कर्ष** इस प्रकार, यह श्लोक भगवान शिव के विविध दिव्य गुणों की स्तुति करता है—वे आनंद के स्रोत हैं, पापों का नाश करने वाले हैं, अनाथों के नाथ हैं और मोक्ष के दाता हैं। उनका यह स्वरूप हमें भक्ति, समर्पण और आत्मिक मुक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यंshree shivay namastubhyamshree shivay namastubhyam mantrashri shivaya namastubhyam mantraOm namah shivayaOm namo shivay om namo shivaOm namah shivaya jaapOm namah shivaya chantingmaha mrityunjaya mantrashiva mantramahadeva mantrashiv stotramMantra meditationOm chanting meditationSiva mantraNandimediashiv puransanandpradeep mishrashiva puranashiv mahapuransanand manand vane vasantambhajan