Rasraj Ji Maharaj - Lo-fi Version श्री हनुमान चालीसा 11 बार | Shree Hanuman Chalisa Rasraj Ji Maharaj - Lo-fi Version श्री हनुमान चालीसा 11 बार | Shree Hanuman Chalisa Rasraj Ji Maharaj - Lo-fi Version श्री हनुमान चालीसा 11 बार | Shree Hanuman Chalisa आज ही हमारे चैनल "#RasrajJi_Maharaj" को SUBSCRIBE करे व अन्य भक्तों के साथ वीडियो को Share करे व Like करना न भूलें | Click to Subscribe :- https://bit.ly/45UuHgJ 🎶Song - Shree Hanuman Chalisa 🎤Singer - Rasraj Ji Maharaj 🖊Lyrics - Paras Midha 🔊Music - Hans Raj Railhan 📽Recording - Kailash Ji ( Max Studio) 📌Label - Sonotek VG - ♫ Gaana - ♫ JioSaavn - ♫ Wynk - ♫ Apple Music - ♫ Hungama - ♫ Amazon Prime Music - ♫ YT Music - ♫ Spotify - ♫ Resso - ♫ Instagram- ▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️Lyrics✍️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️ श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार । बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार ॥ चौपाई जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥ कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुंडल कुँचित केसा ॥ हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे । काँधे मूँज जनेऊ साजे ॥ शंकर सुवन केसरी नंदन । तेज प्रताप महा जगवंदन ॥ विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मनबसिया ॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा । विकट रूप धरि लंक जरावा ॥ भीम रूप धरि असुर सँहारे । रामचंद्र के काज सवाँरे ॥ लाय सजीवन लखन जियाए । श्री रघुबीर हरषि उर लाए ॥ रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई ॥ सहस बदन तुम्हरो जस गावै । अस कहि श्रीपति कंठ लगावै ॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥ जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते । कवि कोविद कहि सके कहाँ ते ॥ तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा । राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥ तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना । लंकेश्वर भये सब जग जाना ॥ जुग सहस्त्र जोजन पर भानू । लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही । जलधि लाँघि गए अचरज नाही ॥ दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥ राम दुआरे तुम रखवारे । होत ना आज्ञा बिनु पैसारे ॥ सब सुख लहैं तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहु को डरना ॥ आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हाँक तै कापै ॥ भूत पिशाच निकट नहि आवै । महावीर जब नाम सुनावै ॥ नासै रोग हरे सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥ संकट तै हनुमान छुडावै । मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥ सब पर राम तपस्वी राजा । तिनके काज सकल तुम साजा ॥ और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै ॥ चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ॥ साधु संत के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे ॥ अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता ॥ राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥ तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ॥ अंतकाल रघुवरपुर जाई । जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥ और देवता चित्त ना धरई । हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥ संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ जै जै जै हनुमान गुसाईँ । कृपा करहु गुरु देव की नाई ॥ जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ॥ जो यह पढ़े हनुमान चालीसा । होय सिद्ध साखी गौरीसा ॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥ दोहा पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप । राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥